केंद्र सरकार की ओर से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाईकोर्ट में कहा कि लोगों को कार में अकेले यात्रा करते समय मास्क पहनना अनिवार्य करने संबंधी कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए हैं। राज्य सरकार को महामारी में ऐसे निर्देश देने के अधिकार हैं। वकील सौरभ शर्मा ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार को पक्ष बनाते हुए कहा था कि वह कार में बिना मास्क पहने अकेले ही यात्रा कर रहे थे। इसके बावजूद उनका 500 रुपये का चालान कर दिया गया। यह गैरकानूनी है। ऐसे में उन्हें 10 लाख रुपये मुआवजा दिलवाया जाए।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से कहा गया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 22 के प्रावधानों के तहत राज्य कार्यकारी समिति को भारत सरकार द्वारा अपने स्थानीय संदर्भ और महामारी के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों को लागू करने का अधिकार है।
भारत सरकार और राज्य सरकारें कोविड -19 महामारी से निपटने के लिए आपसी सहयोग से काम कर रही हैं, लेकिन इसमें मास्क पहनने की अनिवार्यता पर केंद्र सरकार की ओर से कोई निर्देश शामिल नहीं है। जब ऐसे दिशा निर्देश जारी ही नहीं किए तो उसे याचिका में बनाए गए पक्ष से हटाया जाए। पिछले साल दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि किसी व्यक्ति के लिए निजी वाहन में अकेले में होने पर भी मास्क पहनना अनिवार्य है। सरकार ने तर्क रखा था कि निजी वाहन निजी क्षेत्र नहीं है।
अधिवक्ता सौरभ शर्मा ने उन पर किए जुर्माने को इसी आधार पर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि वह अपनी निजी कार में अकेले गाड़ी चला रहे थे। ऐसे में उन पर किया गया जुर्माना गैरकानूनी है। मंत्रालय ने पेश जवाब में कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची सूची के अनुसार यह राज्य का विषय है, इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पताल राज्य सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है।