कोरोना की तीसरी लहर में दिल्ली के अस्पताल कोविड 19 के सुपर स्प्रेडर बनते जा रहे हैं,ऐसे में इन अस्पतालों में जाना खतरे से खाली नहीं है. दिल्ली के अस्पतालों से ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिनमें इस वक्त अस्पतालों में कोरोना जो मरीज इलाज करा रहे है, उनमें से अधिकतर वह हैं, जो दूसरी बीमारी का इलाज करवाने अस्पताल आए थे और कोविड से पीड़ित हो गए. रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सेज व अन्य स्टाफ भी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं.
इस वक्त एम्स का करीब 550 स्टाफ, लेडी हार्डिंग में 200, आरएमएल में करीब 150, सफदरजंग में 200, बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल में स्टाफ के करीब 100 लोग कोरोना संक्रमित हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक, रोजाना बड़ी संख्या में स्टाफ पॉजिटिव पाया जा रहा है, जिसमें रेजिडेंट डॉक्टर से लेकर नर्स व स्टाफ शामिल हैं.
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के प्रेजिडेंट डॉ. सुनील दुचानिया का कहना है कि इस वक्त हमारे अस्पताल के करीब 200 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर, नर्स व अन्य स्टाफ संक्रमित है.
वहीं सफदरजंग अस्पताल की आरडीए प्रेजिडेंट डॉ. मनीष कहते हैं कि उनके अस्पताल में भी इस वक्त 200 से 250 स्टाफ कोरोना संक्रमित हो चुका है. कुछ दिन के आइसोलेशन के बाद दोबारा से जॉइन करना पड़ रहा है, लेकिन स्टाफ के तेजी से संक्रमित होने की वजह से मैनपावर पर काफी असर पड़ रहा है. जो रेजिडेंट डॉक्टर ड्यटी पर हैं, उन्हें ज्यादा देर ड्यूटी करनी पड़ रही है.
कल तक लोकनायक अस्पताल में कोरोना के 136 मरीज थे जिनमें से 130 मरीज ऐसे थे, जो किसी और बीमारी के लिए अस्पताल में एडमिट हुए थे, लेकिन कोरोना की जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए गए. केवल 6 लोग ही कोरोना के इलाज के लिए आए थे. यानी करीब 95 प्रतिशत लोग अस्पताल में भर्ती होने के बाद कोरोना संक्रमित हुए हैं. यह बात खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कही थी.
बीते सोमवार DDMA ने जो रिपोर्ट जारी की थी, उसमें भी यह कहा गया था कि बीते 5 दिनों में 46 मौतों में से 21 मौतें ऐसे लोगों की हुई थी, जो अस्पताल में किसी और बीमारी का इलाज करवाने आए थे, उसके बाद कोरोना संक्रमित होने पर उनकी मौत हो गई है.
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