दिल्ली में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच पानी की किल्लत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। आपको बता दें कि पिछले 7 दिनों से दिल्ली में जलापूर्ति बाधित है और यह समस्या कब तक सुलझेगी, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। क्योंकि पानी की किल्लत के बीच दिल्ली और हरियाणा के बीच में विवाद शुरू हो चुका है।
यमुना नदी के लगभग सूख जाने के कारण वजीराबाद, चंद्रवाल और ओखला जल शोधन संयंत्रों की उत्पादन क्षमता में और कमी आई है, जिससे दिल्ली के कई इलाकों में पेयजल की समस्या और भी ज्यादा बढ़ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि दिन में वजीराबाद में यमुना का जलस्तर सामान्य से 6 फुट नीचे पहुंच गया है। सामान्य दिनों में यहां का जलस्तर 674.50 रहता है जो अभी 668.40 दर्ज किया गया है।
यहाँ तक कि दिल्ली के कुछ इलाकों में आलम ऐसा है कि लोगों को 20 लीटर वाली पानी की बोतल खरीदकर अपना गुजर बसर करना पड़ रहा है। इसके अलावा अचानक मांग बढ़ जाने की वजह से कई इलाकों में पानी के दाम भी बढ़ गए हैं। भीषण गर्मी के बीच पानी की किल्लत के चलते सामान्य जनजीवन भी प्रभावित हुआ है।
दिल्ली-हरियाणा के बीच हो रही राजनीतिक बयानबाजी
एक ओर जहाँ दिल्ली सरकार के मंत्री जहां हरियाणा पर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं छोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी पर राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रहे हैं। हाल ही में दोनों सरकार की तरफ से बयानबाजी की गई थी।
इन इलाकों में हो रही पानी की किल्लत
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कि उत्तर, उत्तर पश्चिमी, दक्षिण, मध्य दिल्ली और नई दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा था कि हम हरियाणा सरकार के अधिकारियों से बात कर रहे हैं लेकिन मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जानबूझकर ऐसी स्थिति पैदा कर रहे हैं। यह उनके इरादों को प्रदर्शित करता है।
170 total views, 1 views today